कहानी संग्रह >> प्रेम चतुर्थी (कहानी-संग्रह) प्रेम चतुर्थी (कहानी-संग्रह)प्रेमचन्द
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मुंशी प्रेमचन्द की चार प्रसिद्ध कहानियाँ
कथाक्रम
1. बैंक का दिवाला
2. शान्ति
3. लाल फीता या मजिस्ट्रेट का इस्तीफा
4. लाग-डॉट
बैंक का दिवाला
लखनऊ नेशनल बैंक के दफ्तर में लाला साईंदास आरामकुर्सी पर लेटे हुए शेयरों का भाव देख रहे थे और सोच रहे थे कि इस बार हिस्सेदारों को मुनाफ़ा कहाँ से दिया जायगा? चाय, कोयला या जूट के हिस्से खरीदने, चाँदी, सोने या रुई का सट्टा करने का इरादा करते, लेकिन नुकसान के भय से कुछ तय न कर पाते थे। नाज के व्यापार में इस ओर बड़ा घाटा रहा, हिस्सेदारों के ढाढ़स के लिए हानि-लाभ का कल्पित ब्यौरा दिखाना पड़ा और नफा पूँजी से देना पड़ा। इससे फिर नाज के व्यापार में हाथ डालते जी काँपता था।
पर रुपये को बेकार पड़ा रखना असम्भव था। दो-एक दिन में उसे कहीं-न-कहीं लगाने का उचित उपाय करना जरूरी था, क्योंकि डाइरेक्टरों की तिमाही बैठक एक ही सप्ताह में होनेवाली थी, यदि उस समय तक कोई निश्चय न हुआ, तो आगे तीन महीनों तक फिर कुछ न हो सकेगा और छमाही मुनाफे के बँटवारे के समय फिर वही फरजी कार्रवाई करनी पड़ेगी, जिसको बार-बार सहन करना बैंक के लिए कठिन था।
बहुत देर तक इस उलझन में पड़े रहने के बाद लाला साईंदास ने घंटी बजायी, इस पर बगल के दूसरे कमरे से एक बंगाली बाबू ने सिर निकाल कर झाँका।
साईंदास–टाटा स्टील कम्पनी को एक पत्र लिख दीजिए कि अपना नया बैलेंस शीट भेज दें।
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